बाजार में दुकानों के अंदर सामान कम तथा बाहर अधिक रखा जाता है सामान
- अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद, प्रशासन के आदेश ठेंगे पर
होडल मधुसूदन : प्रशासन की लापरवाही के कारण शहर के अधिकांश बाजारों में अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। एक ओर दुकानदारेां ने अपनी अपनी दुकानों के सामने सामान रखकर अतिक्रमण किया हुआ है तो बाजार में फुटपाथ भी अतिक्रमण की भेंट चढे हुए हैं। शहर का कोई भी बाजार और चौराहा ऐसा नहीं है, जो अतिक्रमणकारियों के कब्जे में ना हों। दुकानदार तो अपनी दुकानों के सामने तख्त आदि रखवाने की ऐवज में पांच सौ से आठ सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से नजराना भी वसूल रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में अनभिज्ञ हों, लेकिन सब कुछ जानते हुए अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं, जिसके कारण बाजार में अतिक्रमकारियों के हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। हालांकि नगर परिषद द्वारा कागजी खानापूर्ति करने के लिए बाजार में अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन अधिकारियों की पीठ मुडते ही बाजार में फिर वही स्थिती बन जाती है। परिषद द्वारा अतिक्रमणकारियों को स्वयं अतिक्रमण हटाने के नाम पर मुनादी भी कराई जाती है, जिस पर हजारों रुपए भी खर्च किए जाते हैं,लेकिन अतिक्रमणकारियों पर उसका कोई भी असर नहीं पडता है। पुरानी सब्जी और उसके आसपास के बाजारों में तो हालात इतने खराब हैं कि दुकानों के आगे उन्होंने तख्त आदि रखवाए हुए है और सडक पर बने डिवाईडर पर भी अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है, जिसके कारण बाजार से पैदल निकलना भी मुशकिल हो जाता है। इसके अलावा शहर का सबसे व्यस्त हसनपुर चौक भी पूरी तरह से अतिक्रमण की भेंट चढ चुका है। नगर परिषद के अधिकारी हैं कि वह केवल कागजी चेतावनी देकर बाजारों को अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहते हैं, जबकि चेतावनी के बाद महीनों तक बाजारों की तरफ देखते भी नहीं है। परिषद के अधिकारियों की लचन व्यवस्था के कारण अधिकांश बाजार अतिक्रमण की भेंट चढ चुके हैं। उधर इस बारे में नगर परिषद के सचिव देवेंद्र कुमार का कहना है कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आगे से बाजार में बगैर मुनादी के ही अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा। अगर कोई दुकानदार दोवारा से अतिक्रमण करता पाया जात है तो उसकी दुकान का सामान भी जब्त किया जाएगा और पुलिस में पालिका एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
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