
यमुना पर लोहे का नया पुल सितंबर 2023 तक चालू
समाचार निर्देश ब्यूरो। एसडी सेठी। आजादी से पहले 1867 में तैयार यमुना पर पहला लोहे का पुल अपनी उम्र को टापकर 156 साल में प्रवेश कर गया है। मगर अंग्रेजी काल में महज 3 साल में बिना सीमेंट -कंक्रीट व सिर्फ चूना तथा लाल ईंटों के मजबूत 12 पिलर के ऊपर लोहे के बडे-बडे गाॅडर पर खडा डबल -डेकर पुल दिल्ली – यूपी को जोडने वाला.इकलौता पुल था। शाहदरा पुल के नाम से मशहूर डबल-डेकर पुल जिसमें सडक वाहन एवं रेल यातायात को भी सालों से यमुना को टपाता आ रहा है। इसी पुल की सुविधा की वजह से यमुना पार में सैंकडों कालोनियां आबाद हो चुकी है। यमुना पार में लगातार बढ रही आबादी और बुढे हो चले पुल को आराम देने की गर्ज से साल 1997 में दूसरा नया लोहे का पुल बनाने की योजना पर काम शुरू किया गया। योजना के बाद साल 2003-04 में बनना शुरू हो गया। आज पुराने पुल के साथ ही नए लोहे के पुल निर्माण में 26 साल बीत गए हैं। रेलवे मंत्रालय के द्वारा तैयार करवाएं जा रहे लोहे के पुल को अगर कोई बाधा नहीं आई तो सितंबर 2023 तक आम जनता के आर-पार के लिए खोल दिया जाएगा। 875 मीटर लम्बे लोहे के पुल को रेल मंत्रालय की निगरानी में निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। इससे पहले आरएंडटी कंपनी को ठेका दिया गया था। कंपनी फांउडेशन पिलर बनाने के दौरान नीचे अरावली पहाड की चट्टाने आने से काम को रोक दिया था। बाद में कंपनी ने हाथ खडे कर दिए। इससे काम रूक गया। इसके अलावा पुरातत्व विभाग ने सलीमगढ किले में तोडफोड करने से रोक लगा दी।

इस तरह से पुल निर्माण का काम लंबित होता चला गया। बाद में सलीम गढ लाल किला की.बैक साईड पर पुल को मोडना पडा। इसके लिए पिलर की संख्या भी बढ गई। अब जाकर साल 2016 से पुल निर्माण में तेजी आई है। फिलहाल 15 में से 11 फांउडेशन पिलर वैल तैयार हो चुके है। शेष 4 फांउडेशन पिलर जून महीने तक तैयार हो जाने का कंपनी ने दावा किया है। उधर रेलवे अधिकारियों ने बचे पिलरों को मानसूत्र से पहले काम पूरा करने की हिदायत दी है। तैैयार फांउडेशन पिलरों पर लोहे के मजबूत भारी भरकम गाॅडरों को क्रेन से उठाकर लगा दिये गए हैं। मजबूती का ये आलम है कि प्रत्येक जोड पर 500 नट बोल्ट कसे गए हैं। अब 5 महीने ही शेष रह गए है। बरसात में यमुना का जलस्तर भी बढ जाता है। बहरहाल सितंबर तक यमुना पर बन जाएगा लोहे का नया पुल। अभी पुराने लोहे के पुल पर ट्रेने 15-से-20 की स्पीड से चलती हैं। साथ ही बन रहे नए पुल पर ट्रेने बेफिक्र पूरी गति से जा सकेगी।

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